अरे तुने आम के बाग़ ही क्यों लगाये
उगाना ही था तो गाज़र मुली उगाता
तुने हमेशा कल की ही सोची
कभी अपने आज की भी सोचता
तेरे आम को तो तेरे बच्चो ने खाया
अरे तुझे कया मिला
गाज़र मुली तो तू ही खता
तुझे मारने के लिए सुखा बाढ़ या
बिन मौसम बरसात ही कया कम थे
तुने खुद को सूली पर भी लटकाया
फिर भी तुने कल की ही सोची
शायद इसीलिए तो हम जिन्दा है
सोचता हु हम जैसा अगर तू भी होता
तो हम जैसो का कया होता
इसीलिए तो तुझे बार बार प्रणाम करता हु
और अब मैं भी आम के बाग़ लगाता हु
सार्थक सोच
ReplyDeleteआम भी जरूरी और मूली भी
आज की नीव पर ही कल होगा.
not bad
ReplyDeletejo kal ki sochi.
hum bhi kal ki jaroor sochege
huuuuuuuuuuuuuuu
achi hai par hum to
ReplyDeletegaazar muli hi ugayege
sahi kaha
ReplyDeletekal bhi to jaruri hai
hum jinda bhi to kal ke liye hi hai
good one
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने ...हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
ReplyDeleteराम त्यागी
http://meriawaaj-ramtyagi.blogspot.com/
सुमित भाई,
ReplyDeleteअच्छा लिखते हो। पर कोशिश करो कि इसमें निरंतरता आए। इस प्रयास को जारी रखो। बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी भावनाएं व्यक्त कर पाते हैं। वरना ज़्यादातर तो अपने दर्द और इच्छाओं के साथ यूं ही घुट-घुटकर मर जाते हैं। आप उन ख़ुशनसीबों में से एक हो जिसे ख़ुदा ने अपने को व्यक्त करने की नेमत बख़्शी है। इसका इस्तेमाल करो और लोगों पर छोड दो। बिना चिंता किए कि कोई उसे कैसे लेगा। भई सबका अपना नज़रिया होता है ।
शुभकामनाओं सहित
रवीन्द्र
accha likhte ho
ReplyDeletekab likha
Blog Jagat Men swagat hai.
ReplyDelete--------
मची आय रे दैया।
आपके घर में आर्यभट्ट छुपा है?
i think not bad
ReplyDelete