Thursday, June 3, 2010

पाप का घड़ा

कभी कुछ कहा
ये पाप का घड़ा यू ही भरता रहा
फीर भी तुमने कुछ कहा
अब जब ये फूटने वाला है
तो कहते हो के बस
बहुत हो चूका ,

हर गलती को यू ही भुलाया
अचानक कहते हो की गलती की है
डरता हु कही ये घड़ा फुट जाये
और तुम्हे खो दू

अब तो पास आने से भी डरता हु
यकी नहीं आता की ये वोही तुम हो
जीसने कभी कुछ कहा
और अब देखना भी नहीं चाहते हो

मैं कभी भी डरता नहीं
अगर पहली गलती को ही कह देते
की बस बहुत हुआ

3 comments:

  1. आईये जाने .... प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !

    आचार्य जी

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  2. sahi kaha agar pahli galti par hi kahte to sahi hota

    ab bhukto

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